रविवार, 29 सितंबर 2013

|| काली पञ्च वाण ||

आज के इस युग में प्रत्येक व्यक्ति अच्छे रोजगार
की प्राप्ति में लगा हुआ है पर बहुत प्रयत्न करने पर
भी अच्छी नौकरी नहीं मिलती है ! रोजगार
सम्बन्धी किसी भी समस्या के समाधान के लिए इस मन्त्र
का प्रतिदिन 11बार सुबह और 11बार शाम को जप करे !
प्रथम वाण
ॐ नमः काली कंकाली महाकाली
मुख सुन्दर जिए ब्याली
चार वीर भैरों चौरासी
बीततो पुजू पान ऐ मिठाई
अब बोलो काली की दुहाई !
द्वितीय वाण
ॐ काली कंकाली महाकाली
मुख सुन्दर जिए ज्वाला वीर वीर
भैरू चौरासी बता तो पुजू
पान मिठाई !
तृतीय वाण
ॐ काली कंकाली महाकाली
सकल सुंदरी जीहा बहालो
चार वीर भैरव चौरासी
तदा तो पुजू पान मिठाई
अब बोलो काली की दुहाई !
चतुर्थ वाण
ॐ काली कंकाली महाकाली
सर्व सुंदरी जिए बहाली
चार वीर भैरू चौरासी
तण तो पुजू पान मिठाई
अब राज बोलो
काली की दुहाई !
पंचम वाण
ॐ नमः काली कंकाली महाकाली
मख सुन्दर जिए काली
चार वीर भैरू चौरासी
तब राज तो पुजू पान मिठाई
अब बोलो काली की दोहाई !
|| विधि ||
इस मन्त्र को सिद्ध करने की कोई आवश्यकता नहीं है !
यह मन्त्र स्वयं सिद्ध है केवल माँ काली के सामने
अगरबती जलाकर 11 बार सुबह और 11 बार शाम को जप
कर ले ! मन्त्र एक दम शुद्ध है भाषा के नाम पर हेर फेर न
करे !शाबर मन्त्र जैसे लिखे हो वैसे ही पढने पर फल देते है
शुद्ध करने पर निष्फल हो जाते है

शनिवार, 28 सितंबर 2013

.... यमदेव ने दे दिया अपना इस्तीफा ....

एक दिन यमदेव ने दे दिया अपना इस्तीफा। मच गया हाहाकार बिगड़ गया सब संतुलन, करने के लिए स्थिति का आकलन, इन्द्र देव ने देवताओं की आपात सभा बुलाई और फिर यमराज को कॉल लगाई।

'डायल किया गया नंबर कृपया जाँच लें' कि आवाज तब सुनाई। नये-नये ऑफ़र देखकर नम्बर बदलने की यमराज की इस आदत पर इन्द्रदेव को खुन्दक आई, पर मामले की नाजुकता को देखकर, मन की बात उन्होने मन में ही दबाई।

किसी तरह यमराज का नया नंबर मिला, फिर से फोन लगाया गया तो 'तुझसे है मेरा नाता पुराना कोई' का मोबाईल ने कॉलर टयून सुनाया। सुन-सुन कर ये सब बोर हो गये ऐसा लगा शायद यमराज जी सो गये।

तहकीकात करने पर पता लगा, यमदेव पृथ्वीलोक में रोमिंग पे हैं, शायद इसलिए,नहीं दे रहे हैं हमारी कॉल पे ध्यान, क्योंकि बिल भरने में निकल जाती है उनकी भी जान।

अन्त में किसी तरह यमराज हुये इन्द्र के दरबार में पेश, इन्द्रदेव ने तब पूछा-यम क्या है ये इस्तीफे का केस? यमराज जी तब मुँह खोले और बोले- हे इंद्रदेव। 'मल्टीप्लैक्स' मेंजब भी जाता हूँ,'भैंसे' की पार्किंग न होने की वजह से बिन फिल्म देखे,ही लौट के आता हूँ।

'बरिस्ता' और 'मैकडोन्लड' वाले तो देखते ही देखते इज्जत उतार देते हैं और सबके सामने ही ढ़ाबे में जाकर खाने-की सलाह दे देते हैं। मौत के अपने काम पर जब पृथ्वीलोक जाता हूँ 'भैंसे' पर मुझे देखकर पृथ्वीवासी भी हँसते हैं और कार न होने के ताने कसते हैं।

भैंसे पर बैठे-बैठे झटके बड़े रहे हैं वायुमार्ग में भी अब ट्रैफिक बढ़ रहे हैं। रफ्तार की इस दुनिया का मैं भैंसे से कैसे करूँगा पीछा। आप कुछ समझ रहे हो या कुछ और दूँ शिक्षा। और तो और, देखो रम्भा के पास है 'टोयटा' और उर्वशी को है आपने 'एसेन्ट' दिया, फिर मेरे साथ ये अन्याय क्यों किया?

हे इन्द्रदेव।मेरे इस दु:ख को समझो और चार पहिए की जगह चार पैरों वाला दिया है कह कर अब मुझे न बहलाओ, और जल्दी से 'मर्सिडीज़' मुझे दिलाओ।

वरना मेरा इस्तीफा अपने साथ ही लेकर जाओ। और मौत का ये काम अब किसी और से करवाओ.....
 

गुरुवार, 26 सितंबर 2013

प्रजातंत्र

एक सज्जन बनारस पहुँचे।
स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया,
‘‘मामाजी! मामाजी!’’
लड़के ने लपक कर चरण छूए।
वे पहचाने नहीं।

बोले — ‘‘तुम कौन?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’
‘‘मुन्ना?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी!
खैर, कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।
मैं आजकल यहीं हूँ।’’

‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’

मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने
लगे।
चलो, कोई साथ तो मिला।
कभी इस मंदिर, कभी उस मंदिर।

फिर पहुँचे गंगाघाट। बोले कि "सोच रहा हूँ,
नहा लूँ!"

‘‘जरूर नहाइए मामाजी! बनारस आये हैं और
नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’

मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर
गंगे!
बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े
गायब!
लड़का... मुन्ना भी गायब!
‘‘मुन्ना... ए मुन्ना!’’

मगर मुन्ना वहां हो तो मिले।
वे तौलिया लपेट कर खड़े हैं।
‘‘क्यों भाई साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’’
‘‘कौन मुन्ना?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’

लोग बोले, ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’

वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे।
मुन्ना नहीं मिला।

ठीक उसी प्रकार...
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के
नाते हमारी यही स्थिति है!

चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे
चरणों में गिर जाता है।
"मुझे नहीं पहचाना! मैं चुनाव का उम्मीदवार।
होने वाला एम.पी.।
मुझे नहीं पहचाना...?"

आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते
हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स
जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट
लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।

समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े
हैं।
सबसे पूछ रहे हैं — "क्यों साहब, वह
कहीं आपको नज़र आया?
अरे वही, जिसके हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।"

पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट
पर खड़े बीत जाते हैं।
आगामी चुनावी स्टेशन पर भांजे
आपका इंतजार मे....

अब तो मर जाता है रिश्ता ही बुरे वक्तो मे
पहले मर जाते थे रिश्तो को निभाने बाले

बुधवार, 25 सितंबर 2013

शीघ्र नौकरी पाने का सरल उपाए:

आज के समय में नौकरी प्राप्त करना किसी युद्ध में विजय होने से कम नहीं है, यदि व्यक्ति अशिक्षित हो और घर पर खाली बैठा हो तो एक बार को समझ में आ सकता है पर बड़ी बड़ी डिग्रियां हासिल करने के बाद भी हजारों युवा आज घर पर खाली हाथ बैठे हैं। अनपढ़ व्यक्ति तो मेहनत मजदूरी कर लेता है, रिक्शा चला लेता है पर पढ़ा लिखा डिग्री के दंभ में खाली रह जाता है।

बेरोजगारों की तादात आज इतनी है कि कहीं भी इंटरव्यू देने जाइये ५० आदमी आपसे पहले लाइन में खड़े होते हैं, अच्छी डिग्री होने के बावजूद मनपसंद नौकरी या आराम से बैठ कर की जाने वाली नौकरी या अच्छी कमाई वाली नौकरी तो बहुत दूर की बात है, अपना जेब खर्च चलाने लायक नौकरी भी नहीं मिल पाती, ऊपर से पास पड़ोस में रहने वालों के ताने, रिश्तेदारों के द्वारा बार बार पूछा जाना "अभी तक नौकरी नहीं लगी ? घर पे खाली बैठे हो?" सबसे बढ़कर चोट तब लगती है जब अपने ही माँ बाप कहने लगें की "घर पे बैठे बैठे रोटियां तोड़ता रहता है, चवन्नी भी कमाने लायक नहीं है, नाकारा" जी करता है की आत्महत्या कर लें या कहीं भाग जाएँ। नौकरी नहीं होती तो इज्ज़त भी मिलना बंद हो जाती है और शादी तो दूर का सपना होती है।

आज आपको एक ऐसा सरल उपाए बताने जा रहा हूँ जिसके प्रयोग से आजीविका का साधन सरलता से प्राप्त हो जाता है।

इसके लिए सबसे पहले किसी ज्योतिषी या विद्वान पंडित जी से मिलकर अपनी जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का पताकर लेना चाहिए क्यूंकि ये उपाए उन लोगों को अति शीघ्र लाभ पहुंचाएगा यानि रोजगार दिलवाएगा जिनका चन्द्रमा बली हो और शुभ फल दे रहा हो या शुभ फल देने में सक्षम हो। यदि आपकी जन्म कुंडली में चन्द्रमा बली है और शुभफलप्रद है तो सबसे पहले किसी ऐसे पीपल के पेड़ की खोज करें जिस पर बाँदा उगा हुआ हो अर्थात ऐसा पीपल का पेड़ जिसके ऊपर कोई अन्य पेड़ उगा हो, जो की बहुत ही सामान्य है और आपको पीपल पर बरगद, पाकड़ या जामुन जैसे वृक्ष आसानी से उगे हुए मिल जायेंगे।
जब कोई ऐसा बाँदा युक्त या बाँदा धारी पीपल का पेड़ आपको मिल जाये तो स्वयं पंचांग की मदद से या पंडित जी से पूछ कर शुक्ल पक्ष के किसी ऐसे शनिवार के दिन का चयन करें जिस दिन चतुर्थी, नवमी या चतुर्दशी तिथि पड़ रही रही हो। जब दिन का चयन कर लें तो उक्त तिथि से एक दिन पूर्व यानि शुक्रवार की सायंकाल उक्त पीपल के बांदे को विधि पूर्वक निमंत्रण दे आयें (जिसकी विधि आप मेरीपुरानी पोस्ट 'रत्न जड़ी धारण विधि') से प्राप्त कर सकते हैं और फिर शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान अदि कर स्वच्छ हो पुनः पूजन कर उक्त बन्दे को अपने घर ले आयें।

फिर उसी दिन प्रातः काल में या यदि उस दिन संभव न हो तो किसी अन्य शनिवार को जब फिर दिन और तिथि का यही योग बन रहा हो तो पीपल के इस बांदे को देवता की प्रतिमा मानकर इसे गंगाजल से स्नान कराएँ, इसकी पंचोपचार पूजा करें धुप दीप करें और निम्न मंत्र की रक्त चन्दन या रुद्राक्ष की माला से पञ्च माला जप करें:

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीँ महाल्क्ष्मये सर्व सौभाग्य दायिनी नमोस्तुते।

तत् पश्चात् रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र की तीन माला जप करें

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्नैश्चराये नमः।

और फिर उक्त बांदे के टुकड़े को किसी चाँदी के ताबीज़ में भरकर फिर उसे लाल कपडे में सिलकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करें।

ईश्वर की कृपा से उक्त प्रयोग करके आपको अतिशीघ्र नौकरी प्राप्त होगी, मैंने अब तक जिन जिन लोगों को ये बना कर दिया श्री राम जी की कृपा से उन सब को इसे धारण करने के ७ सप्ताह के भीतर ही रोजगार प्राप्त हो गया। एक और बात की जब कोई नौकरी आये तो उसे स्वीकार कर लें चाहे वेतन कम ही हो बाकि अच्छे वेतन वाली नौकरी हेतु प्रयासरत रहें। ताबीज़ पहने रहें, माता महालक्ष्मी जी की कृपा से आगे के मार्ग स्वयं प्रशस्त होते रहेंगे।

जिन लोगों का चन्द्रमा बली न हो अथवा उच्च या नीच का हो और शुभ फल न दे रहा हो, वे किसी अच्छे ज्योतिषी या पंडित जी से मिलकर उसका उपचार करें और तत् पश्चात उक्त प्रयोग करें।

धन्यवाद्

।।जय श्री राम।।

सोमवार, 23 सितंबर 2013

पितृ शांति साधना

यह साधना किसी भी पूर्णिमा अथवा अमावस्या को करे या शनिवार को भी की जा सकती है.

समय शाम का होगा सूर्यास्त के समय करे.

दिशा पूर्व हो.पीले वस्त्र धारण करे आसन पिला हो.सामने बजोट पर पिला कपडा बिछाये 

और उस पर गुरु चित्र स्थापित कर सामान्य पूजन करे फिर वही सामने एक शकर की ढ़ेरी बनाये,एक
 
सफ़ेद तिल की बनाये और एक कटोरी में थोडा घी भी रखे.एक नारियल का गोला भी रखे.

अब ३० 
दिन तक बिना माला के 

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

मंत्र का जाप करे.फिर ३ माला गायत्री मंत्र की करे.अब गोले को थोडा सा काटकर उसमे ये तील,शकर और 

घी भर दे और गोले को फिर से बंद कर दे.ऊपर पुनः नारियल का जो गोला काटा था उससे ही बंद करे और 

आस पास गिले आटा लगा दे ताकि गोला खुले नहीं और इस गोले को जाकर किसी पीपल वृक्ष के निचे गाड

 दे और बिना पीछे मुड़े घर आ जाये.जाप के बाद सारे जाप पितरो को समर्पित कर दे.इस साधना से पित्र 

तृप्त होते है और साधक को आशीर्वाद देते है.
ब्रह्मानंदम  परमसुखदं केवलं ज्ञानमुर्तिम ।  द्वान्दातीतम गगन सदृशम तत्वमास्यादी लक्ष्यम ।  एकं नित्यं विमलं अचलं सर्व धिः साक्षीभूतम । भावातीतम त्रिगुण रहितम सद्गुरुम  तं नमामि । 

रविवार, 22 सितंबर 2013

कैंसर की इस से अच्छी और कारगर दवा कोई नहीं है:

कैंसर की इस से अच्छी और कारगर दवा कोई नहीं है:

4 बार उबला हुआ और हर बार उबालने से पहले मलाई उतरा हुआ दूध, या फिर फिर कम वसा वाला देसी


गाय का दूध वो भी मलाई उतरा हुआ। ऐसा 300 ग्राम दूध अगले दिन सुबह सुबह उबाल कर उसमे नीम्बू

 निचोड़ कर फाड़ लें। फिर उस दूध को छलनी में छानकर पानी फेक दें। उस पनीर को अच्छी तरह धोकर

 हाथ से कुचलते हुए धोकर किसी महीन कपडे या जाली में दबाकर निचोड़कर उसका सारा पानी निकाल दें। 

फिर वो पनीर किसी कटोरी में डालें, ऊपर से अलसी का 20-30 ग्राम तेल डालकर, पनीर में मिलाकर 

सुबह खाली पेट खाएं। यही कैंसर का उपचार है. गोमूत्र का मालूम नहीं, लेकिन ये अलसी तेल वाला उपचार 

स्वानुभूत है। ध्यान देने योग्य बात: पनीर में वसा और पानी नहीं होना चाहिए, या बोहोत ही कम होना 

चाहिए। घर का बना पनीर ही इस्तेमाल करना है। इस दवा को बनाने में जो भी बर्तन अथवा जाली प्रयोग

 होंगी, वो किसी भी साबुन या केमिकल से ना धोई जाएँ। जर्सी गाय का दूध इस्तेमाल नहीं करना है, देसी 

गाय का सर्वोत्तम है, अन्यथा भैंस का दूध प्रयोग कर सकते हैं। इस दवा को खाने के बाद पानी या तरल का

 सेवन नहीं करना है, सीधे भोजन ही करना है, वो भी कम से कम 45 मिनट बाद ही। अलसी तेल बाज़ार 

का बोतल बंद नहीं लेना है, किसी भी कच्ची घानी से खुद निकलवा कर लायें, वो भी मशीन साफ़ करवाकर 

अन्यथा उसमे अन्य पुराने तेलों की गंध आएगी। अलसी तेल में उपचारात्मक गुण तेल निकाले जाने के

 25-30 दिन बाद ख़त्म होने लगते हैं, इसलिए तेल ताज़ा ही उचित रहेगा। कच्ची घानी किसी गाँधी आश्रम 

में मिलने की संभावना हैं, वरना अब तो मशीन ही प्रयोग की जा रही हैं। दवा के सेवनकाल में रिफाइंड तेल,

 रिफाइंड नमक और रिफाइंड चीनी का प्रयोग वर्जित है, मांसाहार तो बिलकुल नहीं करना है. चाय, कोफी 

और कोई भी मद्य पदार्थ का सेवन करें ही नहीं अथवा बोहोत कम ही करें। बस, इतना ही है, लाभ उठाएं।

ये विश्वविख्यात दवाई है, पता नहीं हमारे ही देश में क्यों इसकी जानकारी नहीं है लोगों को।

शनिवार, 21 सितंबर 2013

सकारात्मक सोच

किसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख मांगते और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी| दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक झोपडी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे
तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई है। 

यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है ,”भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है… में दिन भर तेरा नाम लेता हूँ , मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ फिर भी तूने मेरी झोपडी तोड़ दी… गाँव में चोर – लुटेरे झूठे लोगो के तो मकानों को कुछ नहीं हुआ , बिचारे हम साधुओं की झोपडी ही तूने तोड़ दी ये तेरा ही काम है …हम तेरा नाम जपते हैं पर तू हमसे प्रेम नहीं करता….”

तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश हो जाता है नाचने लगता है और कहता है भगवान् आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है ये हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढंकने को जगह है…. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है , कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा , मेरा तुझपर विश्वास अब और भी बढ़ गया है… तेरी जय हो !

मित्रों एक ही घटना को एक ही जैसे दो लोगों ने कितने अलग-अलग ढंग से देखा … हमारी सोच हमारा भविष्य तय करती है , हमारी दुनिया तभी बदलेगी जब हमारी सोच बदलेगी। यदि हमारी सोच पहले वाले साधू की तरह होगी तो हमें हर चीज में
कमी ही नजर आएगी और अगर दूसरे साधू की तरह होगी तो हमे हर चीज में अच्छाई दिखेगी ….अतः हमें दूसरे साधू की तरह विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाये रखनी चाहिए।

सोमवार, 16 सितंबर 2013

नमाज के बाद फसाद

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गुरुवार, 5 सितंबर 2013

॥ अथ श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रम। ॥

जटाधरं पान्डुरान्गम शूलाहस्तम कृपनिधिम ।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे ॥ १॥

अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रम.न्त्रस्य भगवान.ह नारद^इषिः ।
अनुष्टुप.ह छन्दः . श्रीदत्तपरमात्मा देवता ।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ॥

जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसा.नहार हेतवे ।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १॥

जराजन्मविनाशाय देहाशुद्धिकराया च ।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ २॥

कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधाराया च ।
वेदाशास्त्रपरिग्याया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ३॥

र्हस्वदीर्घक्र^इशास्थूला-नामगोत्र-विवर्जिता ।
प्.न्चाभूतैकदीप्ताया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ४॥

यज्याभोकते च यज्ञाय यज्यारूपधाराया च ।
यज्याप्रियाया सिद्धाय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ५॥

आदौ ब्रह्मा मध्य विश्ह्नुरा.न्ते देवः सदाशिवः ।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ६॥

भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिने ।
जितेन्द्रियाजिताग्याया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ७॥

दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च ।
सदोदितापराब्रह्मा दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ८॥

जम्बुद्वीपमहाक्शेत्रमातापुरनिवासिने ।
जयमानासताम देवा दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ९॥

भिक्शातानाम गर^इहे ग्रामे पात्रं हेमामयम करे ।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १०॥

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्र चाकाशाभूताले ।
प्रग्यानाघनाबोधाया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ ११॥

अवधूतासदानान्दापराब्रह्मस्वरूपिने ।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १२॥

सत्यम्रूपसदाचारसत्यधर्मपरायन ।
सत्याश्रयापरोक्षाया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १३॥

शूलाहस्तागादापाने वनामालासुकंधरा ।
यग़्य़सूत्रधरब्रह्मन.ह दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १४॥

क्षराक्षरास्वरूपाया परात्पराताराया च ।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १५॥

दत्त विद्याध्यालाक्ष्मीषा दत्त स्वात्मस्वरूपिने ।
गुनानिर्गुनारूपाया दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १६॥

शत्रुनाशाकाराम स्तोत्रं ग्यानाविग्यानादायाकम. ।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमो.अस्तुते ॥ १७॥

इदं स्तोत्रं महाद्दिव्यम दात्ताप्रत्याक्षकाराकम. ।
दात्तात्रेयाप्रसादाच्चा नारादेना प्रकीर्तितम. ॥ १८॥

.. इति श्रीनारादापुराने नारादाविराचितम
दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसंपूर्नाम. ..