रविवार, 21 जून 2015

विपरीत प्रत्यंगिया प्रयोग

विपरीत प्रत्यंगिया का एक प्रयोग

स्त्रोत मंत्र :

ऊं ऊं ऊं ऊं ऊं कुं कुं कुं मां सां खां चां लां क्षां रक्षांम करु ।।

ऊं ह्रीं ह्रीं ऊं स: हूं ऊं क्षौं वां लां मां धां सां रक्षांम कुरू ।।

ऊं ऊं ह्रीं वां धां मां सां रक्षांम करू

ऊं ऊं प्लूं रक्षांम कुरू ।।

ऊं नमो विपरीत प्रत्यंगिरे विद्यारागिनी त्रैलोकवश्यंकरि तुष्टि पुष्टि 

करि सर्व पीडा पहारिणी सर्व पापनाशिनी सर्व मंगलमांग्लये शिवे सर्वार्थ 

साधनी मोदिनी सर्व शास्त्राणं भेदीनि क्षोभिणी च । पर मंत्र तंत्र यंत्र विष 

चूर्ण सर्व प्रयोगादीन अन्येषां निर्वर्तयित्वा यत्कृतम तन्मेंअस्तु 

कलिपातिनी सर्वहिंसा मा कार्यति अनुमोदयति मनसा वाचा कर्मणा हे 

देवासुर राक्षसास्तिर्यग्योनि सर्वहिंसका विरूपकं कुर्वन्ति मम मंत्र तंत्र 

यंत्र विष चूर्ण सर्व प्रयोगादीनात्म हस्तेन य: करोति करिष्यति 

कारयिष्यति तान् सर्वानन्येषां निर्वर्तयित्वा पात: कारय मस्तके स्वाहा ।

किसी अन्जान बिमारी में , किसी अन्जान क्रिया करतब में , किसी 

अन्जान शत्रु से बचाव करने की स्थिति में इस स्त्रोत पाठ का कर्मठ 

करने से मैने लोगों को लाभ दिलाया है ।

वस्तु : लोहवान 50 ग्राम , कर्पूर 100ग्राम , गाय का दुध 50 ग्राम , एक 

मिट्टी का पात्र हवन करने लायक

विधी : मिट्टी के पात्र में लोहवान को कर्पुर डाल के जला दे । जब लौ तीव्र 

हो जाय । तब रोगी व्यक्ति के सर की तरफ से पांच बार परिक्रमा करके 

उतारे हुए गाय के दुध का छींटा लौ के उपर उपरोक्त स्त्रोत को पढ के मारें

दिन : मंगलवार

समय: रात्रि 9 बजे के बाद

स्थान : खुला आसमान कहीं भी

संख्या: 51 बार

सफलता : तीन मंगलवार में

मकान कीलन विधि

ऊं हूँ स्फारय स्फारय मारय मारय शत्रुवर्गान नाशय नाशय स्वाहा ।
उपरोक्त मंत्र को दस हजार जप करके ।
घर के अंदर के चारों कोने की मिट्टी अपने अभिभावक के एक बलिस्त नीचे की मिट्टी की वेदी बना कर उस पर 
बैर की लकडी में काला नमक,पीली सरसों , काली मिर्च , ताल मखाना , सरसो का तेल मिश्रित हवन करके । 
पुनः हवन की हुई भस्म के साथ एक बलिस्त ( बित्ता ) पलाश की लकडी चारो किनारो के गड्ढे में पुनः रख दें ।
इससे मकान का कीलन होता है मकान में मौजूद आत्माये भाग खडी होती हैं । तथा कीलन करने के पश्चात 
कोई भी आत्मा घर में प्रवेश नहीं कर सकती
दक्षिण पश्चिम के कोने को 24 घंटे के बाद कीलें जिससे की घर में मौजूद आत्मायें बाहर निकल जायें

ये प्रत्यंगिरा का मकान कीलन विधि है

जोग अर्थात योग

                                          प्रस्तुत है ।  जोग

                                श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी से ये वाणी ।

                          सुहि महला 1 घरु 7 । 1 ओन्कार सतगुर प्रसादी ।

जोग न खिंथा जोग न डंडे जोग न भस्म चढ़ाइए । जोग न मुंदी मूंड मुंडाइऐ जोग न सिंगी वाइए ।
अंजन माहि निरंजन रहिए जोग जुगत इव पाइए । गलीं जोग न होई ।
एक दृष्टी कर समसरि जाणे जोगी कहिये सोई । जोग न बाहर मणि मसानि जोग न ताड़ी लाइये ।
जोग न देस दिसंतरी भविये जोग न तीरथ नाइये । अंजन माहि निरंजन रहिए जोग जुगत इव पाइए ।
सतगुरु भेटे ता सहसा तूटे धावतु वरज़ि रहाइये । निझरू झरेई सहज धुनी लागे घर ही परचा पाइये ।
अंजन माहि निरंजन रहिए जोग जुगत इव पाइए । नानक जीवतिआ मरि रहिये ऐसा जोग कमाइये ।
वाजे बाझहु सिंगी वाजे तौ निरभौऊ पद पाइये । अंजन माहि निरंजन रहिए जोग जुगत इव पाइए ।
नानक जीवतिया मरि रहिये ऐसा जोगु कमाइये ।।

**** दारिद्रयदहन शिवस्ताेत्र ****


**** दारिद्रयदहन शिवस्ताेत्र ****
शुक्ल पक्ष के साेमवार से यह उपासना प्रारंभ करें। देनिक कार्यो से निवृत्त हाेकर स्नान कर आप इस साधना 
काे प्रारंभ करें। इस साधना काे आप किसी शिवमंदिर या आपके निवास स्थान पर कर सकते है शिवजी के 
सामने आप शुध्द घी का दीपक प्रज्वलित करें। 

संकल्प विधि:----- सर्व प्रथम आप सफेद आसन पर बैठकर दाहिने हाथ मे जल अक्षत सुपारी लेकर बाेले मै 
(आपका नाम)(पिता का नाम)(आपका गाेत्र) आज से दारिद्रयदहन शिव स्ताेत्र का पाठ प्रारंभ कर रहा हूं हे 
महादेव आप मेरे जीवन के इस दरिद्रता रूपी अभिशाप काे दूर कर मेरे समस्त मनाेरथ सिध्द करें आैर जल 
काे किसी पात्र मे छाेङ दें।
पाठ विधि:---
संकल्प विधि करने के बाद आप दारिद्रयदहन शिव स्ताेत्र कें १-५-११-२१ आपके सामर्थ अनुसार पाठ करें। 
पाठ समाप्त हाेने के बाद आप आसन के नीचे थाेङा जल छाेङ दें आैर अपने नेत्राे से लगा लें। इस बात का 
ध्यान रखे की पहले दिन आपने जितने पाठ किये है वितने ही पाठ आपकाे नियमित सवा माह तक करने है।
लाभ:- इस स्ताेत्र का पाठ नियमित सवा माह तक करने सें दरिद्रता का निवारण हाेता है सुख सम्पत्ति की 
प्राप्ति हाेती है महादेव की कृपा से ताे समस्त कार्य सिध्द हाे सकते है।
नाेट:- इस साधना काे आप नियमित सवामाह करें आैर उसके बाद हर साेमवार काे करें ताे अत्यधिक लाभ 
हाेगा। संकल्प विधि के पात्र के जल काे आप तुलसी मे ङाल दें। संकल्प विधि आपकाे केवल प्रथम साेमवार काे 
करना है इसके बाद केवल पाठ करना है। इस स्ताेत्र का पाठ जाे व्यक्ति संस्कृत मे नही कर सकते है वाे हिन्दी 
मे कर सकते है दारिद्रयदहन स्ताेत्र आसानी से धार्मिक पुस्तकाे की दुकान पर आसानी से मिल जाता है 
भगवान शिव के प्रति पूर्ण आस्था व विश्वास रखें। 

||दारिद्रयदहन स्ताेत्र||
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय ॥2॥
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय ॥3॥
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय ॥4॥
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय ॥5॥
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय ॥6॥
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय ॥7॥
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङग्‌चर्मवसनाय महेश्वराय ॥8॥
वसिष्ठेन कृतं स्तोत्रं सर्वरोगनिवारणम्‌।
सर्वसम्पत्करं शीघ्रं पुत्रपौत्रादिवर्धनम्‌।
त्रिसंध्यं यः पठेन्नित्यं स हि स्वर्गमवाप्नुयात्‌ ॥9॥

योग: मन को शून्य करना

योग भारत में एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें शरीर, मन 

और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है।" "भगवान कृष्ण 


की आत्मा को परमात्मा से मिलाने के लिए "योग" होता है |.


योग का अर्थ अपने ध्यान को ईश्वर से जोड़ना है | हमारा ध्यान हमेशा 

संसार में रहता है | ध्यान को संसार से हटा कर आत्मा में ले जाना ही 

योग है | प्राण को सम करना योग है | इसे विचारों से भी किया जा सकता 

और शरीर से भी | यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, 

ध्यान और समाधि  को समझे बिना योग को समझना कठिन है | योग 

वशिष्ठ में इन्हें बहुत विस्तार से समझाया गया है | भारत में जिस योग 

का प्रचार किया जा रहा वह योग का ५ % ही है वास्तव में पूरे योग को 

समझना अधिक आवश्यक है | जब हम ईश्वर को ही नही जानते तो 

किस प्रकार से योग करने की बात करते हैं | योग केवल शरीर का 

अभ्यास नही है बल्कि बहुत बड़ा हिस्सा मन को शून्य करना है | बिना 

मन को शून्य किये योग के बारे में सोचा नही जा सकता जब की मन 

शरीर के अभ्यास से शून्य नही हो सकता | दुनिया के लोगों का ध्यान 

संसार में हैं इसलिए वह मन को शून्य करने के बारे में सोच नही सकते |

शनिवार, 20 जून 2015

सनातन धर्म में भेद भाव वर्जित है इसे समझ ले

देखिये भाइयो  जब से ये केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है भाजपा के कुछ छदम लोग  फेसबुक पर , ट्विटर पर, आज धर्म के नाम पर, घर वापसी के नाम पर दोनों मजहबो के लोगो के बीच में नफ़रत के बीज बो रहे है जो की अच्छी बात नहीं है । पहले ये समझ ले की हमारा धर्म सनातन है सनातन मतलब जो की अनंत काल से चला आ  रहा हो । ये बाद में कुछ मुस्लिम आक्रांताओ ने सिंधु नदी के इस पार  सिंधु और उस  पार  हिन्दू नाम दिया जो की हम ढो रहे है खैर  चाहे कोई हिन्दू हो या मुस्लिम या ईसाई या अन्य कोई सभी इसी देश में रहते है तो  हमारा कर्तव्य है की हम सबसे मिलजुल कर रहे और सबसे प्रेम करे । हमारे सनातन धर्म में भेद भाव वर्जित है इसे समझ ले । हमारे यहाँ तो "वसुधैव कुटुंबकम " अर्थात पूरी वसुधा ही एक कुटुंब है अर्थात पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है तो क्या परिवार में एक दूसरे से नफ़रत की जाती है ? क्या कोई अपने ही भाई से घृणा करता है नहीं ! कभी नहीं ! हमारे धर्म में " वासुदेव सर्वम " या " सियाराम मय सब जग जानी । करउ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ " कहा गया है । 

तो मेरा कहने का तात्पर्य यही है की सबसे प्रेम करे और जाति , धर्म, रहन-सहन के आधार पर  भेद भाव ना करें, जैसा की भाजपा के कुछ लोग सोशल मिडिया पर नफ़रत भरे सन्देश एक दूसरे को भेज रहे है । हमारे धर्म ने सभी को अपनाया है चाहे वो कोई भी हो और चाहे वो कैसा भी हो क्योंकि हमारा प्रभु सबमे निवास करता है इसीलिए किसी से भी नफ़रत न करे । 

दूसरे से नफ़रत करके आप उस दूसरे का तो कुछ नहीं कर पाएंगे पर अपने जीवन में जहर जरूर घोल लेंगे इसीलिए हमेशा प्रेम में जिए और प्रेम ही बाटे  । जय श्री कृष्णा ॥

सनातन धर्म में भेद भाव वर्जित है इसे समझ ले

देखिये भाइयो  जब से ये केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है भाजपा के कुछ छदम लोग  फेसबुक पर , ट्विटर पर, आज धर्म के नाम पर, घर वापसी के नाम पर दोनों मजहबो के लोगो के बीच में नफ़रत के बीज बो रहे है जो की अच्छी बात नहीं है । पहले ये समझ ले की हमारा धर्म सनातन है सनातन मतलब जो की अनंत काल से चला आ  रहा हो । ये बाद में कुछ मुस्लिम आक्रांताओ ने सिंधु नदी के इस पार  सिंधु और उस  पार  हिन्दू नाम दिया जो की हम ढो रहे है खैर  चाहे कोई हिन्दू हो या मुस्लिम या ईसाई या अन्य कोई सभी इसी देश में रहते है तो  हमारा कर्तव्य है की हम सबसे मिलजुल कर रहे और सबसे प्रेम करे । हमारे सनातन धर्म में भेद भाव वर्जित है इसे समझ ले । हमारे यहाँ तो "वसुधैव कुटुंबकम " अर्थात पूरी वसुधा ही एक कुटुंब है अर्थात पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है तो क्या परिवार में एक दूसरे से नफ़रत की जाती है ? क्या कोई अपने ही भाई से घृणा करता है नहीं ! कभी नहीं ! हमारे धर्म में " वासुदेव सर्वम " या " सियाराम मय सब जग जानी । करउ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ " कहा गया है । 

तो मेरा कहने का तात्पर्य यही है की सबसे प्रेम करे और जाति , धर्म, रहन-सहन के आधार पर  भेद भाव ना करें, जैसा की भाजपा के कुछ लोग सोशल मिडिया पर नफ़रत भरे सन्देश एक दूसरे को भेज रहे है । हमारे धर्म ने सभी को अपनाया है चाहे वो कोई भी हो और चाहे वो कैसा भी हो क्योंकि हमारा प्रभु सबमे निवास करता है इसीलिए किसी से भी नफ़रत न करे । 

दूसरे से नफ़रत करके आप उस दूसरे का तो कुछ नहीं कर पाएंगे पर अपने जीवन में जहर जरूर घोल लेंगे इसीलिए हमेशा प्रेम में जिए और प्रेम ही बाटे  । जय श्री कृष्णा ॥ 

सनातन धर्म में भेद भाव वर्जित है इसे समझ ले

देखिये भाइयो  जब से ये केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आई है भाजपा के कुछ छदम लोग  फेसबुक पर , ट्विटर पर, आज धर्म के नाम पर, घर वापसी के नाम पर दोनों मजहबो के लोगो के बीच में नफ़रत के बीज बो रहे है जो की अच्छी बात नहीं है । पहले ये समझ ले की हमारा धर्म सनातन है सनातन मतलब जो की अनंत काल से चला आ  रहा हो । ये बाद में कुछ मुस्लिम आक्रांताओ ने सिंधु नदी के इस पार  सिंधु और उस  पार  हिन्दू नाम दिया जो की हम ढो रहे है खैर  चाहे कोई हिन्दू हो या मुस्लिम या ईसाई या अन्य कोई सभी इसी देश में रहते है तो  हमारा कर्तव्य है की हम सबसे मिलजुल कर रहे और सबसे प्रेम करे । हमारे सनातन धर्म में भेद भाव वर्जित है इसे समझ ले । हमारे यहाँ तो "वसुधैव कुटुंबकम " अर्थात पूरी वसुधा ही एक कुटुंब है अर्थात पूरी पृथ्वी ही एक परिवार है तो क्या परिवार में एक दूसरे से नफ़रत की जाती है ? क्या कोई अपने ही भाई से घृणा करता है नहीं ! कभी नहीं ! हमारे धर्म में " वासुदेव सर्वम " या " सियाराम मय सब जग जानी । करउ प्रनाम जोरि जुग पानी ॥ " कहा गया है । 

तो मेरा कहने का तात्पर्य यही है की सबसे प्रेम करे और जाति , धर्म, रहन-सहन के आधार पर  भेद भाव ना करें, जैसा की भाजपा के कुछ लोग सोशल मिडिया पर नफ़रत भरे सन्देश एक दूसरे को भेज रहे है । हमारे धर्म ने सभी को अपनाया है चाहे वो कोई भी हो और चाहे वो कैसा भी हो क्योंकि हमारा प्रभु सबमे निवास करता है इसीलिए किसी से भी नफ़रत न करे । 

दूसरे से नफ़रत करके आप उस दूसरे का तो कुछ नहीं कर पाएंगे पर अपने जीवन में जहर जरूर घोल लेंगे इसीलिए हमेशा प्रेम में जिए और प्रेम ही बाटे  । जय श्री कृष्णा ॥ 

शुक्रवार, 19 जून 2015

संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा

जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल एवम पीड़ित होने से संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो तो 
निम्नलिखित शास्त्रोक्त उपायों में से किसी एक या दो उपायों को श्रद्धा पूर्वक करें | आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी |
1. संकल्प पूर्वक शुक्ल पक्ष से गुरूवार के १६ नमक रहित मीठे व्रत रखें | केले की पूजा करें तथा ब्राह्मण 
बटुक को भोजन करा कर यथा योग्य दक्षिणा दें | १६ व्रतों के बाद उद्यापन कराएं | ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं गुरुवे नमः 
का जाप करें |

2. पुरुष दायें हाथ की तथा स्त्री बाएं हाथ की तर्जनी में गुरु रत्न पुखराज स्वर्ण में विधिवत धारण करें |
3. यजुर्वेद के मन्त्र दधि क्राणों ( २३/३२) से हवन कराएं |
4. अथर्व वेद के मन्त्र अयं ते योनि ( ३/२०/१) से जाप व हवन कराएं |

5. जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल सूर्य से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या 
बाधा हो तो हरिवंश पुराण का विधिवत श्रवण करके उसे दान करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल चन्द्र से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा 
हो तो रामेश्वर तीर्थ में स्नान करें ,एक लक्ष गायत्री मन्त्र का जाप कराएं तथा चांदी के पात्र में दूध भर कर दान 
दें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल मंगल से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा 
हो तो भूमि दान करें ,प्रदोष व्रत करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल बुध से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा 
हो तो विष्णु सहस्रनाम का जाप करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल गुरु से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा हो 
तो गुरूवार को फलदार वृक्ष लगवाएं ,ब्राह्मण को स्वर्ण तथा वस्त्र का दान दें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शुक्र से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा 
हो तो गौ दान करें , आभूषणों से सज्जित लक्ष्मी -नारायण की मूर्ति दान करें |
जन्म कुंडली का संतान भाव निर्बल शनि से पीड़ित होने के कारण संतान सुख की प्राप्ति में विलम्ब या बाधा 
हो तो पीपल का वृक्ष लगाएं तथा उसकी पूजा करें ,रुद्राभिषेक करें और ब्रह्मा की मूर्ति दान करें |
6. संतान गोपाल स्तोत्र
ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
देहि में तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम गतः |
उपरोक्त मन्त्र की १००० संख्या का जाप प्रतिदिन १०० दिन तक करें | तत्पश्चात १०००० मन्त्रों से हवन,
१००० से तर्पण ,१०० से मार्जन तथा १० ब्राह्मणों को भोजन कराएं |
7.संतान गणपति स्तोत्र

श्री गणपति की दूर्वा से पूजा करें तथा उपरोक्त स्तोत्र का प्रति दिन ११ या २१ की संख्या में पाठ करें |

शीघ्र विवाह के लिए सरल उपाय

शीघ्र विवाह के लिए सरल उपाय ...


कई बार शादी में बिना बात रुकावट आ जाती है , रिश्तेदारों का भाग भाग कर बुरा हाल हो जाता है लेकिन 

फिर भी रिश्ता पक्का नहीं होता है आइये जानते है इससे कैसे बचे ..

सर्व प्रथम तो किसी ज्योतिषी से पत्रिका जरुर दिखाए की शादी का योग चल भी रहा है या नहीं , कई बार 

विवाह का योग होने पर भी ग्रहों के कारन या मांगलिक दोष के कारन विवाह में बाधा आती है तो इसका उपाय 

कराये किसी विद्वान के माध्यम से ग्रहों की शांति कराये ,


जन्म पत्रिका में कन्या की शादी के लिए गुरु और वर की शादी के लिए शुक्र ग्रह कारक होता है , 


सरल उपाय :-


१:- जिस कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा है तो वो प्रत्येक गुरूवार को नहाने से पहले बाल्टी में एक चुटकी 

हल्दी डालकर स्नान करे और नहाने के बाद हल्दी ,केसर को गंगा जल में घोलकर माथे और नाभि में टिका 

(तिलक ) करे 


२:-गुरु का स्थान कुंडली में बड़े बुजुर्गों को दिया गया है इसलिए भूलकर भी बजुर्गों का अपमान न करें उनकी 

सेवा करे और उनका पैर छुकर आशीर्वाद लीजिये जल्द ही हाँथ पीले हो जायेगे ..


३:- गुरूवार को केले के वृक्ष की पूजा करे .


४. किसी धर्म स्थान या माता के मंदिर में जाकर इस मन्त्र का १ बार जाप करे और माँ की मूर्ति के आगे १ 

जल भरा नारियल लाल रंग की चुनरी में लपेटकर भेट अर्पित करे .

“कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।नन्दगोप सुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः।।”


अब बारी है वर की .. उनके लिए ये सरल उपाय 


१. ९ वर्ष तक की कन्याओं की सेवा करे ,


२. गाय को या गौशाला में हरा चारा दान करे 


३. किसी धर्म स्थान या माता के मंदिर में जाकर इस मन्त्र का १ बार जाप करे और माँ की मूर्ति के आगे १ 

जल भरा नारियल लाल रंग की चुनरी में लपेटकर भेट अर्पित करे .

“ॐ पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।


तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।।”


टोटका :- कुम्हार अपने चाक को जिस डंडे से घुमाता है, उसे किसी तरह किसी को बिना बताए प्राप्त कर लें। 

इसके बाद घर के किसी कोने को रंग-रोगन कर साफ कर लें। इस स्थान पर उस डंडे को लंहगा-चुनरी व सुहाग 

का अन्य सामग्री से सजाकर दुल्हन का स्वरूप देकर एक कोने में खड़ करके गुड़ और चावलों से इसकी पूजा 

करें। इस टोटके से लड़के का विवाह शीघ्र ही हो जाता है। यदि चालीस दिनों में इच्छा पूरी न हो तो फिर यही 

प्रक्रिया दोहराएं(डंडा प्राप्त करने से लेकर पूजा तक)। यह प्रक्रिया सात बार कर सकते हैं।

धन लक्ष्मी के आगमन का मार्ग

श्वेत बबूल के पुष्प, अरण्डी के पुष्प एवं मेंहदी के पुष्प-तीनों को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में बंद करके घर 
में रखने से धन का आगमन होने लगता हैं।
दान करने से धन घटता नहीं, बल्कि जितना देते हैं उसका दस गुना र्इश्वर हमें दे देता है।
इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात को सोते समय पांच-पांच बार नियम से 
उसका स्मरण करें। मातेश्वरी लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी।
दुकानदार दुकान खोलें, तब महादेव का थड़ा अर्थात दुकान की गद्दी पर बैठकर इस मंत्र की प्रथम माला जप लें।
श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी मार्इ सबकी सवाइर््र आवो चेतो करो 
भलार्इ न करो तो सात समुद्रों की दुहार्इ, ऋद्धि-सिद्धि न करे तो नौ नाथ चौरासीसिद्धोंकी दुहार्इ।
आप जब भी बैंक में रुपये जमा करने जाएं तो प्रयास करें कि पश्चिममुखी होकर ही कार्य करें तथा मानसिक 
रूप से मां लक्ष्मी के किसी भी मंत्र का जप करते रहें। यदि मां लक्ष्मी का कोर्इ मंत्र याद न हो तो निम्न मंत्र का 
जप करें। इससे आपका धन सदैव बढ़ता रहेगा। मंत्र इस प्रकार है-
ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं।
पीपल के पत्त्ो पर ‘राम’ लिखकर तथा कुछ मीठा रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ा आएं। इससे अवश्य ही धन 
लाभ होगा। इसके अतिरिक्त नित्य प्रात:काल लक्ष्मी को लाल पुष्प अर्पित करके दूध निर्मित मिष्ठान का 
भोग लगाने से भी धन का लाभ होगा।
शनिवार के दिन पीपल का एक अखंडित पत्ता तोड़कर उसे गंगाजल से धोकर उसके ऊपर हल्दी तथा दही के 
घोल से दाएं हाथ की अनामिका उंगली द्वारा एक वर्ग के भीतर ‘हृी’ लिखें। तत्पश्चात धूप-दीप दिखाकर यह 
पत्ता मोड़कर अपने बटुए मे रख लें। प्रत्येक शनिवार को पूजा के साथ वह पत्ता बदलते रहें। आपका बटुआ 
धन से कभी खाली नही रहेंगा। पुराना पत्ता घर से बाहर किसी पवित्र स्थान पर ड़ाल दें।
अचानक धन प्राप्ति के लिए अपनी मनोकामना कहते हुए बरगद की जटा में गांठ लगा दें। जब धन लाभ हो 
जाए तो उसे खोल दें।
काली हल्दी को सिंदूर और धूप देकर लाल वस्त्र में लपेटकर एक-दो मुद्राओं सहित तिजोरी में रखें। इससे धन
लक्ष्मी  की वृद्धि होती रहेगी।
यदि धन का लाभ नही हो रहा हो तो शुक्रवार के दिन से नित्य गोधूलि वेला में श्री महालक्ष्मी या तुलसी के पौधे  
के समक्ष गौ घृत का दीपक जलाएं।
यदि किसी भी धर्म स्थल में आपको कोर्इ सिक्का या धन मुद्रा मिले तो आप उसे बिना किसी झिझक के उठा 
लें और उसको धन रखने के स्थान पर लाल अथवा पीले रेशमी वस्त्र में बांधकर रख दें। इससे धन में वृद्धि 
होगी।
शुक्रवार के दिन किसी सुहागिन स्त्री को लाल वस्त्र या सुहाग सामग्री दान करने से धन लक्ष्मी के आगमन का 
मार्ग प्रशस्त होता है। यदि शुक्रवार के दिन कोर्इ विवाहित स्त्री आपको चाय-पानी पर आमंत्रित करे तो उसके 
आग्रह को न ठुकराएं-चाहे आप कितने ही अधिक व्यस्त क्यों न हों। यह धन के आगमन का द्योतक है।

सिद्ध वशीकरण मन्त्र

सिद्ध वशीकरण मन्त्र

१॰ “बारा राखौ, बरैनी, मूँह म राखौं कालिका। चण्डी म राखौं मोहिनी, भुजा म राखौं जोहनी। आगू म राखौं 

सिलेमान, पाछे म राखौं जमादार। जाँघे म राखौं लोहा के झार, पिण्डरी म राखौं सोखन वीर। उल्टन काया, 

पुल्टन वीर, हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाई, हनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करे, 

मोहिनी-जोहिनी सातों बहिनी। मोह देबे जोह देबे, चलत म परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथी, बत्तीस 

मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहा मोहिनी के जाय, चेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।”

विधि- उक्त मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक सज्जन के द्वारा अनुभूत बतलाया गया है। फिर भी शुभ समय में 

१०८ बार जपने से विशेष फलदायी होता है। नारियल, नींबू, अगर-बत्ती, सिन्दूर और गुड़ का भोग लगाकर 

१०८ बार मन्त्र जपे।
मन्त्र का प्रयोग कोर्ट-कचहरी, मुकदमा-विवाद, आपसी कलह, शत्रु-वशीकरण, नौकरी-इण्टरव्यू, उच्च 

अधीकारियों से सम्पर्क करते समय करे। उक्त मन्त्र को पढ़ते हुए इस प्रकार जाँए कि मन्त्र की समाप्ति ठीक 

इच्छित व्यक्ति के सामने हो।

दरिद्रता निवारण का चमत्कारी मंत्र

दरिद्रता निवारण का चमत्कारी मंत्र


ॐ नमो नारायणाय नमः। 

यह मंत्र सौभाग्य, सम्पदा, मोक्ष एवं सभी प्रकार की उन्नति के लिए अत्यन्त ही अनुकूल है, यह अत्यन्त 

सरल और महत्वपूर्ण है उन लोगों के लिए जो गृहस्थ है और ज्यादा विधि विधान नही कर सकते है। दस लाख 

बार जपने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। स्त्रियों के लिए यह मंत्र विशेष उपयोगी माना गया है , इससे गृहस्थ 

जीवन सुखमय रहता है तथा मृत्यु के बाद निश्चय ही विष्णु लोक को जाता है। पूजन कक्ष में प्राण प्रतिष्ठित 

लक्ष्मी यन्त्र के सामने यह प्रयोग अधिक श्रेष्ठ रहता है। यन्त्र और स्वयं को इत्र लगाकर साधना करने से 

निश्चित सफलता मिलती है।

रुठी हुई स्त्री का वशीकरण

रुठी हुई स्त्री का वशीकरण
“मोहिनी माता, भूत पिता, भूत सिर वेताल। उड़ ऐं काली ‘नागिन’ को जा लाग। ऐसी जा के लाग कि ‘नागिन’ 
को लग जावै हमारी मुहब्बत की आग। न खड़े सुख, न लेटे सुख, न सोते सुख। सिन्दूर चढ़ाऊँ मंगलवार, कभी 
न छोड़े हमारा ख्याल। जब तक न देखे हमारा मुख, काया तड़प तड़प मर जाए। चलो मन्त्र, फुरो वाचा। 
दिखाओ रे शब्द, अपने गुरु के इल्म का तमाशा।”
विधि- मन्त्र में ‘नागिन’ शब्द के स्थान पर स्त्री का नाम जोड़े। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से ८ दिन पहले साधना 
प्रारम्भ करे। एक शान्त एकान्त कमरे में रात्रि मे १० बजे शुद्ध वस्त्र धारण कर कम्बल के आसन पर बैठे। 
अपने पास जल भरा एक पात्र रखे तथा ‘दीपक’ व धूपबत्ती आदि से कमरे को सुवासित कर मन्त्र का जप करे। 
‘जप के समय अपना मुँह स्त्री के रहने की स्थान / दिशा की ओर रखे। एकाग्र होकर घड़ी देखकर ठीक दो घण्टे 
तक जप करे। जिस समय मन्त्र का जप करे, उस समय स्त्री का स्मरण करता रहे। स्त्री का चित्र हो, तो कार्य 
अधिक सुगमता से होगा। साथ ही, मन्त्र को कण्ठस्थ कर जपने से ध्यान केन्द्रित होगा। इस प्रयोग में मन्त्र 
जप की गिनती आवश्यक नहीं है। उत्साह-पूर्वक पूर्ण संकल्प के साथ जप करे।

अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना

अनुभुत सिद्ध अष्टलक्ष्मी साधना


मनुष्य के जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं निर्धनता.धन के अभाव में मनुष्य मान सन्मान प्रतिष्ठा से भी 

वंचित रहेता..


साधना को शुरू करने से पहले पञ्च देवता पूजन और गुरु पूजन के साथ साथ सदगुरुदेव प्रदुत्त मंत्र जाप 

(गुरुमंत्र) जाप जरूर कर लें ....संकल्प करना ना भूले..


चाहे वह कितना भी बड़ा ज्ञानी क्यों ना हो..कही मैंने सुना था की पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी 

नहीं..आज के युग में यह बात शत प्रतिशत मुझे योग्य लगती हैं...जिनके जीवन में धन का अभाव 

हैं...जिनका व्यापार अच्छे से नहीं चल रहा हैं जो कर्जे के चक्र्व्ह्यु में फस गए हैं...जो लोग धन के अभाव के 

कारण बार बार अच्छे मोके गवा देते हैं स्वयं भी दुखी होते हैं और परिवार भी दुखी रहेता हैं ..यह साधना उन 

सब को तो समर्पित तो हैं ही साथमे हमारे प्रिय साधक भाई यो को भी समर्पित हैं क्यूंकि धन के अभाव में 

साधन उपलब्ध नहीं होता और बिना साधन,साधना नहीं होती...अब आगे मैं क्या कहू पर आप स्वयं यह 

साधना करे फिर आपका हृदय स्वयं बोलेगा.... 

सामग्री

१.सिद्ध श्रीयंत्र , पाट ,पीला वस्त्र , ताम्बे की थाली, गाय के घी के ९(नौ) दीपक, गुलाब अगरबत्ती, लाल/पीले फूलो की माला, पीली बर्फी, शुद्ध,अस्ट्गंध,

२.माला :स्फटिक/कमलगट्टा. जप संख्या :१,२५०००

३.आसन :पीला,---- वस्त्र : पीले ; समय :शुक्रवार रात नौ बजे के बाद

४.दिशा :उत्तराभिमुख

मंत्र: 

ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा ||


५.विधान :-पाट पर पिला वस्त्र बिछा कर उस पर सिद्ध श्री यन्त्र स्थापित करे,पीले वस्त्र धारण कर पीले 

आसन पर बैठे श्री यन्त्र पर अस्ट्गंध का छीट्काव कर खुद अस्ट्गंध का तिलक करे उसके बाद ताम्बे की 

थाली में गाय के घी से नौ दीपक जलाये,गुलाब अगरबत्ती लगाये,प्रस्साद में पीली बर्फी रखे श्री यन्त्र पर फूल 

माला चढ़ाये उसके बाद मन्त्र जप करे.और माँ की कृपा को प्राप्त करे ...माँ भगवती आप सभी को सुख समृद्धि 

से पूर्ण करे..

त्रिपुर सुंदरी उपासना

त्रिपुर सुंदरी की उपासना लक्ष्‍मी रूप में होती है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश की शक्तियां उनमें समाहित हैं। भगवती 
त्रिपुरसुंदरी दस महाविद्याओं में दसवें स्थान पर हैं। इन्हें षोडशी,ललिता और राजराजेश्वरी नाम से भी वर्णित 
किया गया है। षोडशी इसलिए कही जाती हैं क्योंकि ये 16 साल की युवती का प्रतिनिधित्व करती हैं। शाक्त 
तांत्रिकों के मध्य ये सबसे प्राचीन पूजित देवी हैं। इन्हें तीनों लोकों में सबसे सुंदर और आकर्षक माना गया है। 
इसका एक अर्थ यह भी है कि ये स्थूल,सूक्ष्म और परालोक की अद्भुत प्रभाव वाली देवी हैं जो हर तरह की सुख-
संपदा देने में सक्षम हैं।

त्रिपुर सुंदरी मंत्र: ऐं  ह्रीं  श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:

व्यक्तित्व विकास, स्वस्थ्य और सुन्दर काया के लिए त्रिपुर सुंदरी देवी की साधना करें। रुद्राक्ष की माला का 
प्रयोग करें। दस माला मंत्र २१ दिन तक लगातार जप अवश्य करें।
चमत्कार आपके सामने होगा

सास और बहू का सौम्य संबंध

सबसे महत्वपूर्ण संबंध होता है जब एक घर की लड़की दूसरे अपरिचित परिवार में बहू बन कर जाती है। 
ससुराल पक्ष में सबसे अहम संबंध बनता है सास और बहू का। यदि बहू का साथ सौम्य संबंध संबंधों में 
मधुरता और सास का बहू संग पुत्रीवत व्यवहार बन जाए तो परिवार में जहां एकता और सुदृढ़ता होगी वहीं 
सुख-शांति, समृद्धि भी होगी। इसके प्रतिकूल होने पर गृह-क्लेश, विघटन, पति-पत्नी में वैमनस्य एवं कई बार 
विच्छेद तक की नौबत जैसे परिणाम सामने आते हैं। जो दोनों परिवारों के लिए असहनीय हो जाते हैं। ऐसी 
प्रतिकूल परिस्थितियों में ज्योतिष विज्ञान की सहायता से काफी सीमा तक इन समस्याओं से निपटा जा 
सकता है।
नित्य घर में 

‘कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणत् क्लेश नाशाय गोविंदाय नमो नम:’।।
इस मंत्र की 11 माला सास और बहू करें।
यह अति प्रभावशाली उपाय है 

मुकदमे में जीत व केद से रिहाई

मुकदमे में जीत व केद से रिहाई
मंगलवार के दिन से शुरू करके हर रोज़ शाम को चार- पांच बजे के करीब गेंहू क़ी रोटी के चूरे मे खालिस देशी 
घी और चीनी मिलाकर कोओं को खिलायेl ऐसा तब तक करते रहे जब तक कि मुकदमा समाप्त न हो जायेl 
तारीक वाले दिन उन्ही कोओं मैं से किसी कि पीठ से हासिल किये हुए एक लंबे पंख को अपनी दांयी तरफ कि 
जेब मे डालकार अदालत मे हासिल हों l उस पंख के असर से अदालत का ध्यान आपकी बातों की तरफ हो 
जायेगा और मुकदमे का फेसला आपके हक़ मे हो जाएगा l जब मुकदमे मे जीत हो जाये तो देसी घी और 
चीनी मिली हुई गेहू की रोटी की चुरी कम से कम एक हफ्ता तक आगे भी कोओं को अवश्य खिलाते रहे l

पति या प्रेमी वशीकरण

अगर पति या प्रेमी का पत्नी या प्रेमिका के प्रति प्यार कम हो गया हो तो श्री कृष्ण का स्मरण कर तीन इलायची अपने बदन से स्पर्श करती हुई शुक्रवार के दिन छुपा कर रखें। जैसे अगर साड़ी पहनतीं हैं तो अपने पल्लू में बांध कर उसे रखा जा सकता है और अन्य लिबास पहनती हैं तो रूमाल में रखा जा सकता है। शनिवार की सुबह वह इलायची पीस कर किसी भी व्यंजन में मिलाकर पति या प्रेमी को खिला दें। मात्र तीन शुक्रवार में स्पष्ट फर्क नजर आएगा।शुक्ल पक्ष के रविवार को ५ लौंग शरीर में ऐसे स्थान पर रखें जहां पसीना आता हो व इसे सुखाकर चूर्ण बनाकर दूध, चाय में डालकर जिस किसी को पिला दी जाए तो वह वश में हो जाता है।

शत्रु शमन के लिए

कुछ उपयोगी टोटके    :शत्रु शमन के लिए :

साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदमनहींउठाएगा।
अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए :
यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर अप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यहप्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है

घर में सुख-समृद्धि कारक एक अद्भुत प्रयोग

हमेशा घर मे कलह होता है। घर में सदस्यों में आपस में बनती नहीं है। कोर्ट कचेहरी में हमेशा धन का नाश 
होता है। या किसी ने आपसे कहा है आपके घर में वास्तु दोष है और इस कारक आपके घर में सुख-समृद्धि नहीं 
होती है तो इस प्रयोग को अवश्य अपनाना चाहिए।

यह अद्भुत प्रयोग है इस प्रयोग को करने वाला व्यक्ति हमेशा आत्मविश्वास से चलने वाला होना चाहिए तो यह प्रयोग और अधिक जल्दी फायदा देगा। 
एक छोटी सी मिटटी की लुटिया ले लें। उसमें गंगा जल से भरकर सात 
गोमती चक्र डालें। लुटिया मे छेद वाली केंदुका कौड़ी कलावे में बांधकर 
डाल दें। उसके बाद ढक्कन लगा दें और इसे घर मे उत्तरपूर्व (North 
East) दिशा में स्थापित कर लें। घर में सुख शांति होगी धन लाभ होगा। 
और कारोबारी सारी समस्याओं का निवारण हो जायेगा। शनि अमावस्या 
के दिन लुटिया के अंदर डाली गयी सामग्री को बहते जल में प्रवाहित कर 
दें और नई सामग्री डाल दें।