रविवार, 29 मई 2016

आकस्मिक धन प्राप्ति केलिए ..(शेयर मार्केट या अन्य में लाभदायक )

आकस्मिक धन प्राप्ति केलिए ..(शेयर मार्केट या अन्य में लाभदायक )

धन प्राप्ति तो एक ऐसी क्रिया हैं जो सबके मन को भांति हैं जीवन मे धन 


के बिना किसी भी चीज का वैसा अस्तित्व नही हैं जैसा की होना ही चाहिए

 .आधिन्काश आवश्यकताए तो केबल धन के माध्यम से कहीं जायदा 

सुचारू रूप से पूरी हो जाती हैं ..

पर धन का आगमन भी तो एक अनिवार्य आवश्यकता हैं पर जो एक बंधी


 बंधाई धन राशि हर महीने मिलती हैं वह तो एक निश्चित रूप से खर्च 

होती हैं.. पर कहीं से यदि कोई आकस्मिक धन यदि हमें मिल जाता हैं 

तो वह बहुत ही प्रसन्नता दायक होता हैं .

पर यह आकस्मिक धन आये कहाँ से ..यह सबसे बड़ा प्रश्न अब हर किसी


 को तो गडा धन नही मिल सकता हैं . तो व्यक्ति नए नए माध्यम 

देखता हैं कि कैसे इसकी सम्भावनए बनायी जाए या हो पाए .

और सबसे ज्यादा हर व्यक्ति का रुझान हैं तो वह् हैं शेयर मार्केट की ओर


 ..रोज जो भी सुचनाये आती हैं वह होती हैं शेयर मार्केट की.. की उसने

 इतना फायदा लिया या वह पूरी तरह से बर्बाद हो गया ..फिर भी लोग 

धनात्मक पक्ष कहीं जयादा देख्ते हैं .मतलब की फायदा होता ही हैं . अब

 जो लंबी अवधि के लिए अपना धन लगाते हैं वह कहीं ज्यादा लाभदायक

 होते हैं और जो कम अवधि के लिए उनके लिए क्या कहा जाए यह बहुत

 ही ज्यादा जोखिम भरा सौदा हैं .

पर एक साधना ऐसी भी हैं जिसके सफलता पूर्वक करने से व्यक्ति का


 जोखिम बहुत कम हो जाता हैं .. और व्यक्ति को लाभ की सम्भावनाये

 कहीं अधिक होती हैं

जप संख्या –

११ हज़ार हैं दिन् निर्धारित नही हैं जब जप समाप्त हो जाये तो १०८ 


आहुति इस मन्त्र से कर दे. और आप देखेंगे की स्वयं ही नए नए स्त्रोत से

 घनागम की अवश्यकताए पूरी होती जाएँगी.

वस्त्र पीले और आसन भी पीला रहेगा.


जप प्रातः काल कहीं जयादा उचित होगा.



दिशा पूर्व या उत्तर उचित रहेगी .

किसी भी माला से जप किया जा सकता हैं.


सदगुरुदेव पूजन , जप समर्पण और संकल्प कि क्यों कर रहे हैं यह


 साधना ..यह तो एक हमेशा से अनिवार्य अंग हैं ही.

मंत्र :

आकाश चारिणी यक्षिणी सुंदरी आओ धन लाओ मेरी झोलो भर जाओ |


वर्षा करो धन की जैसे बादल वर सै जल की |कुबेर की रानी 

यक्षिणी महरानी कसम तेरे पति की लाज रख जन की | सच्चे गुरु का 

चेला बांटू प्रसाद मेवा करूँ तेरी जय सेवा जय यक्षिणी देवा ||

मन्त्र सिद्ध करने के बाद जो भी आप व्यापर या शेयर में अपन धन लगते

 हैं उसमे से जो आपको लगता हैं की आपका अधिक प्रोफिट हैं उस धन के

 कुछ हिस्से को ...मतलब जो धन पाए ..उसमे अपने गुरु का और देवीके

 नाम का कुछ भाग निकाल ले .... या उस धन के हिस्से को .... गुरु को दे

 कर यक्षिणी को मेवा आदि अर्पित कर दे .

रविवार, 15 मई 2016

श्री राम दुर्गम

श्री राम दुर्गम 

सभी प्रकार की किसी भी लौकिक अलौकिक बाधा को दूर करने में श्री राम दुर्गम का अचूक प्रभाव है सभी प्रकार की कामनाओ की भी पूर्ति करता है शत्रुओ से रक्षा होती है नित्य कम  से कम २१ पाठ करे । 

विनियोगः ॐ अस्य श्री राम दुर्गस्य् विश्वामित्र ऋषिः अनुष्टुप छन्दः श्री रामो देवता श्री राम प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः । 

श्री रामो रक्षतु प्राच्यां रक्षेदयाम्यां च लक्ष्मणः । प्रतीच्यां भरतो रक्षेद उदीच्यां शत्रु मर्दनः ॥१ ॥  
ईशान्यां जानकी रक्षेद आग्नेयाम रविनन्दनः । विभीषणस्तु नैऋत्यां वायव्यां वायुनन्दनः ॥२ ॥  
ऊर्ध्वं रक्षेन्महाविष्णुर्मध्यं रक्षेन्नृकेशरी । अधस्तु वामनः पातु सर्वतः पातु केशवः ॥ ३ ॥ 
सर्वतः कपिसेनाद्यैः सदा मर्कटनायकः । चतुर्द्वारं सदा रक्षेदच्चतुर्भिः कपिपुंगवैः ॥ ४॥ 
श्री रामाख्यं महादुर्गं विश्वामित्रकृतं शुभम । यः स्मरेद भय काले तु सर्व शत्रु विनाशनम ॥ ५ ॥ 
रामदुर्गं पठेद भक्त्या सर्वोपद्रवनाशनं । सर्वसम्पदप्रदम् नृणां च गच्छेद वैष्णव पदं ॥ ६ ॥ 

इति  श्री रामदुर्गं सम्पूर्णम ॥ 


 

मंगलवार, 3 मई 2016

गुरु कौन है

आजकल अज्ञानता की लहर सी फैली हुई है जिसको देखो ज्ञान बघारने लगता है चाहे उसे कोई अनुभव हुआ हो अथवा न हुआ हो । बहुत से लोग किताबें पढ़कर ज्ञान बाँट रहे है आजकल सभी बंधू एक बहुत ही बड़े अज्ञानता में रह रहे है की गुरु केवल मार्ग दर्शक का काम करता है अर्थात वो केवल रास्ता दिखलाता है । या तो उन लोगो की गुरु से भेट नहीं हुई है अथवा वो गुरु का अर्थ नहीं जानते । गुरु शब्द से गुरुत्व का आभास होता है. अर्थात जहां गुरुत्व है वही तो गुरु है गुरुत्व का मतलब आकर्षण है गुरु अपनी ओर आकर्षित करता है क्योंकि उसमे गुरुत्व होता है । गुरु सर्व समर्थ होता है वह कर्तुं अकर्तुम और अन्यथा कर्त्तुम में समर्थ होता है वह अपनी कृपा मात्र से शिष्य के हृदय की मलिनता दूर कर देता है । जिसमे यह समर्थ्य हो वाही गुरु है अन्य कोई भी गुरु पद का अधिकारी नहीं है । गुरु सभी कुछ कर सकता है । 
ऐसे गुरु के लिए ही कहा गया है :- 


गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुदेव महेश्वर:।' गुरु साक्षात्परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।

अतः पूर्ण ज्ञानी चेतन्य रूप पुरुष के लिए गुरु शब्द प्रयुक्त होता है, 

उसकी ही स्तुति की जाती है। नानक देव, त्रेलंग स्वामी, तोतापुरी, 

रामकृष्ण परमहंस, महर्षि रमण, स्वामी समर्थ, साईं बाबा, महावातर 

बाबा, लाहडी महाशय, हैडाखान बाबा, सोमबार गिरी महाराज, स्वामी 

शिवानन्द, आनंदमई माँ, स्वामी बिमलानंदजी, मेहर बाबा आदि सच्चे 

गुरु रहे हैं।

अतः यह अज्ञान की केवल रास्ता बताने वाला गुरु होता है केवल रास्ता 

बताने पर भी यदि शिष्य न चल पाए तो, नहीं   गुरु शिष्य को उस रास्ते 

पर चलने की सामर्थ्य भी देता है । गुरु सर्व समर्थ्यवान  है । अतः ईश्वर   
से प्रार्थना  करे की वो आपको ऐसा गुरु  प्रदान करे । 

मेरे गुरु ऐसे ही सामर्थ्यवान दादा जी महाराज गोसलपुर वाले (श्री श्री 

१००८  परमहंस शिवदत्त जी महाराज ) हैं  जो अब समाधिस्थ है पर 

शिष्यों के लिए प्रकट है |

नोट :- गोसलपुर मध्यप्रदेश जबलपुर के पास है जो कटनी और 

जबलपुर के बीच में पड़ता है वहां गुरु जी की समाधी है